उत्तराखंड रजत जयंती: 25 साल में सीख, विकास में नेचुरल अप्रोच जरूरी..

1 min read

उत्तराखंड रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर गया है। बीते 25 वर्षों के विकास पथ पर नजर डालें तो हमारा फोकस इंडस्ट्रियल टाउनशिप, फैक्ट्रियों की सब्सिडी देकर आगे बढ़ाने का रहा है। इसके लिए हमें राजस्व मिला, रोजगार मिला पर उसने हमारी आबोहवा में जहर घोला है, हमारी हवा और जल को प्रदूषित किया है।


उत्तराखंड: 25 साल की यात्रा और भविष्य की दिशा

उत्तराखंड आज 25 साल के अपने युवा इतिहास में एक महत्वपूर्ण प्रस्थान बिंदु पर खड़ा है। यह वह मोड़ है जहां से प्रदेश विकास के नए रास्ते चुन सकता है – चाहे वह ऊंचाइयों को छूने वाला प्राकृतिक और सतत विकास हो या यथास्थिति में ठहरना। अब समय आ गया है जब सिर्फ सरकार या प्रशासन नहीं, बल्कि हर नागरिक अपनी सक्रिय भागीदारी से नए लक्ष्यों को हासिल करने में योगदान दे।

प्राकृतिक संपदा और भविष्य की संभावनाएँ

हरिद्वार के गढ़वाली गीत की पंक्ति, “ठंडो रे ठंडी मेरू पहाड़ कि हव्वा ठंडी”, केवल संस्कृति का प्रतीक नहीं, बल्कि प्रदेश की प्राकृतिक संपदा का परिचायक है। उत्तराखंड के पास अत्यधिक ऑक्सीजन, नदियां, पहाड़ और हरियाली जैसी अनमोल संपत्ति है, जिनका वैश्विक महत्व आने वाले वर्षों में और बढ़ेगा। यह प्रदेश कार्बन क्रेडिट और ग्रीन बोनस के मामले में विश्वस्तरीय पहचान बना सकता है, यदि हम ऑक्सीजन देने वाले पेड़ों की मैपिंग और पर्यावरणीय निगरानी पर ध्यान दें।

इंडस्ट्रियल विकास और पर्यावरणीय संतुलन

पिछले 25 वर्षों में उत्तराखंड का विकास मुख्यतः इंडस्ट्रियल टाउनशिप और फैक्ट्रियों पर आधारित रहा। इससे राजस्व और रोजगार तो मिले, लेकिन इसके परिणामस्वरूप हमारी हवा और जल प्रदूषित हुए। अब समय है ठहर कर सोचने का – क्या हमारा विकास पर्यावरणीय नुकसान के साथ सही दिशा में जा रहा है? भविष्य में हमें ऐसे उद्योगों और इनोवेशन हब्स को विकसित करने की आवश्यकता है, जो AI, रिसर्च और डेटा सेंटर जैसे क्षेत्रों में हो, जिससे प्रदूषण कम हो और युवा दुनिया में अलग पहचान बना सकें।

युवा और पलायन

उत्तराखंड के युवा अब गांवों में नहीं रुक रहे और पलायन लगातार बढ़ रहा है। इसलिए अब ऐसे अवसर पैदा करने होंगे जो उन्हें स्थानीय रूप से जुड़े रहने और रोजगार करने का रास्ता दें। छोटे शहरों और पहाड़ी जिलों में डिजिटल और रिसर्च आधारित उद्योग स्थापित करना, और स्वास्थ्य तथा शिक्षा के क्षेत्र में नए विकल्प लाना, इसी दिशा में पहला कदम हो सकता है।

स्वास्थ्य और पर्यटन

उत्तराखंड के पास प्राकृतिक संसाधन, स्वच्छ वातावरण और विरासत स्थल हैं। अगर हम इन जिलों को लॉन्ग-टर्म हेल्थकेयर हब के रूप में विकसित करें, तो यह न केवल राज्य की आमदनी बढ़ाएगा, बल्कि स्थानीय डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए अवसर भी पैदा करेगा। इसके साथ ही धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को संतुलित तरीके से बढ़ाना होगा, ताकि सुविधाओं और परंपरा के बीच सामंजस्य बना रहे।

संकल्प और आगे की दिशा

उत्तराखंड का भविष्य सतत विकास, प्राकृतिक संपदा की रक्षा और युवा सशक्तिकरण पर निर्भर करेगा। जैसा कि गढ़वाली गीत कहता है – “बीत गया सो बीत गया, आगे जीवन सुंदर है” – इसी दृष्टि के साथ हमें राज्य के हर नागरिक और संस्थान को मिलकर काम करना होगा। प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, पर्यावरणीय संतुलन, स्वास्थ्य और शिक्षा के सुधार, और डिजिटल और रिसर्च आधारित उद्योगों के माध्यम से उत्तराखंड को एक नया आयाम दिया जा सकता है।

उत्तराखंड का युवा प्रदेश अब नई पहचान और वैश्विक योगदान की दिशा में कदम बढ़ा सकता है। यह समय केवल सोचने का नहीं, बल्कि कार्रवाई का है।

4 thoughts on “उत्तराखंड रजत जयंती: 25 साल में सीख, विकास में नेचुरल अप्रोच जरूरी..

  1. Just signed up for gbgbet1. The registration process was super quick, which is always a plus in my book. Haven’t placed any bets yet, but the site looks promising. Give them a try: gbgbet1

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *