December 23, 2024

गंगोत्री में भी गंगा में गिर रहा सीवर, NGT ने राज्य के मुख्य सचिव को दिए जांच के निर्देश

गंगा और उसकी सहायक नदियों में सीवर और अन्य गंदगी उड़ेले जाने की प्रवृत्ति पर लगाम नहीं लग पा रही है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंगा के उद्गम स्थल गंगोत्री में सीवर जनित फीकल कालीफार्म की मात्रा मानक से अधिक पाए जाने पर नाराजगी जताई है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव ने प्रकरण में उत्तराखंड के मुख्य सचिव को जांच कराने के निर्देश दिए हैं। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ के समक्ष की गई सुनवाई में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि गंगोत्री में राज्य की रिपोर्ट के अनुसार गंगोत्री में एक मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) क्षमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में फीकल कालीफार्म की मात्रा मानक से अधिक पाई गई है। यह मात्रा एकत्र नमूने में 540/100 मिलीलीटर एमपीएन (मोस्ट प्रोबबल नंबर) पाई गई है। फीकल कालीफार्म (एफसी) का स्तर मनुष्यों और जानवरों के मलमूत्र से निकलने वाले सूक्ष्म जीवों से प्रदूषण दर्शाता है। न्यायाधिकरण को यह भी बताया गया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के जल गुणवत्ता (आउटडोर बाथ) के मानदंडों के अनुसार के लिए अधिकतम 500/100 मिली होनी चाहिए।

63 नाले टैप नहीं, नदियों में गिर रही गंदगी
एनजीटी की सुनवाई में यह बात भी सामने आई कि प्रदेश में 63 नालों को टैप नहीं किया जा सका है। जिससे गंदगी नदियों में गिर रही है। यह भी पाया गया कि ऊधम सिंह नगर जिले के काशीपुर, बाजपुर और किच्छा कस्बों में सभी नाले टैप नहीं हैं। अपेक्षा की गई है कि राज्य की अगली रिपोर्ट में समयबद्ध तरीके से की जाने वाली कार्रवाई को स्पष्ट किया जा सकेगा। प्रकरण में अगली अब 13 फरवरी को की जाएगी।

53 में से 50 एसटीपी क्रियाशील, 48 की क्षमता कम
एनजीटी ने एसटीपी के मानदंडों और कार्यक्षमता के अनुपालन के बारे में सीपीसीबी की रिपोर्ट पर भी ध्यान दिया और कहा कि 53 चालू एसटीपी में से केवल 50 कार्यात्मक थे, जबकि 48 की क्षमता कम है। यह बायलाजिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी) हटाने की पूरी तरह सक्षम नहीं हैं। पीठ ने सीपीसीबी रिपोर्ट के साथ राज्य की रिपोर्ट की तुलना करते हुए कहा कि उत्तराखंड की नवीनतम रिपोर्ट में किए गए खुलासे संदिग्ध हैं। इसलिए मुख्य सचिव से मामले की उचित जांच करने के निर्देश जारी किए जाते हैं।

एसटीपी में क्षमता उपयोग और डिजाइन क्षमता में असंतुलन
एनजीटी ने देहरादून, उत्तरकाशी, पौड़ी, चमोली के साथ ही हरिद्वार और टिहरी के एसटीपी का जिक्र करते हुए कहा कि इनमें शोधन क्षमता में असमानता है। कहीं क्षमता से कम सीवर शोधित किया जा रहा है और कहीं क्षमता से अधिक सीवर पहुंच रहा है। हालांकि, सीवर के बैकफ्लो आदि का रिपोर्ट में उल्लेख नहीं है।