उत्तराखंड के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पहल, स्टेट एक्शन प्लान के तहत होंगे ये बदलाव
1 min readप्रदेश में जलवायु परिवर्तन पर स्टेट एक्शन प्लान को लेकर संबंधित विभागों को नीतिगत नई पहल के साथ नवाचारों के लिए आगे आना होगा। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने पर्यटन विभाग को सतत पर्यटन विकास की नई गाइड लाइन बनाने, पर्यटक स्थलों पर शत-प्रतिशत कूड़ा निस्तारण और पेपरलेस टिकट व्यवस्था के लिए नवाचार पर कार्य करने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने को सचिवालय में जलवायु परिवर्तन पर स्टेट एक्शन प्लान की समीक्षा की। स्टेट एक्शन प्लान में वांछित संशोधन और इससे संबंधित नीतिगत बिंदुओं पर उन्होंने विभागों के साथ चर्चा की। जलवायु जोखिम, राज्य में ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन की स्थिति, एक्शन प्लान के वित्तीय पोषण, अनुश्रवण एवं नियमित मूल्यांकन पर वन एवं पर्यावरण सहित सभी विभागों के स्तर पर की गई कार्यवाही की जानकारी ली गई।
14 सेक्टर पर विशेष ध्यान
स्टेट एक्शन प्लान के अंतर्गत 14 सेक्टर पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इनमें कृषि एवं उद्यानिकी, पशुपालन व डेयरी, मत्स्य पालन, वन व जैव विविधता, स्वास्थ्य व प्रवास स्थल सम्मिलित हैं। साथ में जल, आपदा प्रबंधन, पर्यटन, ऊर्जा, सड़क, परिवहन, ऊर्जा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को लिया गया है। मुख्य सचिव ने कृषि एवं उद्यान विभाग को मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार के लिए जैविक खेती को बढ़ावा देने, सिंचाई क्षमता बढ़ाने और स्थानीय फसलों की खेती के विस्तार पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि किसानों की ऋण, बीमा तथा आधुनिक मशीनों तक पहुंच बढ़ाने और क्षमता विकास की आवश्यकता है। सोलर पावर पंप की सहायता से स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को कृषि में प्रोत्साहित करना होगा। जलवायु परिवर्तन पर स्टेट एक्शन प्लान के अंतर्गत पर्यटन विभाग को पर्यटन पर शोध बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। जलवायु परिवर्तन के विषय पर कार्यशाला के माध्यम से जन जागरुकता बढ़ाकर पर्यटक स्थलों की पर्यावरणीय सुरक्षा को प्रोत्साहित करने के निर्देश भी उन्होंने दिए। मुख्य सचिव ने ऊर्जा विभाग को ऊर्जा संरक्षण पर क्षमता विकास एवं कार्यशालाएं आयोजित करने को कहा। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण और ग्रीन बिल्डिंग पर सेमिनार व प्रशिक्षण आवश्यक है। माडल एनर्जी गांवों की संख्या बढ़ाई जाए। माइक्रो हाइड्रो और ए सोलर प्रोजेक्ट के विकास पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए गए। उन्होंने वन विभाग को जैव विविधता एवं वन संरक्षण के लिए निरंतर अनुसंधान, पर्वतीय क्षेत्रों में निर्माण तथा वनों के संरक्षण के लिए नीतिगत पहलुओं को केंद्र में रखने की आवश्यकता व्यक्त की। पिरुल का ईंधन एवं बायोमास में उपयोग जैसे पहलुओं को प्राथमिकता देने पर उन्होंने जोर दिया। बैठक में प्रमुख सचिव आरके सुधांशु सहित सभी संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।